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Diabetic Neuropathy हमारे शरीर पर कैसे असर डालती हैं?

Diabetic Neuropathy हमारे शरीर पर कैसे असर डालती हैं?

डायबिटीज़ न्यूरोपैथी होने पर क्या करना चाहिए?

Written by Editorial Team |Published : August 11, 2017 4:58 PM IST

यह बात तो सभी जानते हैं कि मधुमेह या डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को न्यूरोपैथी (neuropathy) का खतरा अधिक होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर मधुमेह नियंत्रण में नहीं है, तो यह धीरे-धीरे तंत्रिकाओं को प्रभावित कर सकता है और नसों के कामकाज को कम कर सकता है, जिससे तंत्रिका को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, बहुत से लोग नहीं जानते कि डायबिटीज़ न्यूरोपैथी का कारण बनता है, विशेषकर जब तक रोगी को न्यूरोपैथी के लक्षण का अनुभव न हो। तो अगर आप यह जानना चाहते हैं कि मधुमेह तंत्रिकाओं को कैसे प्रभावित करता है और मधुमेह क्यों न्यूरोपैथी का कारण बनता है, हमने बात की एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. सुजीत झा से जो मैक्स हेल्थकेयर हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली से जुड़े हुए हैं।

डायबिटीक न्यूरोपैथी को प्रभावित होने वाले हिस्सों के आधार पर 4 प्रकार में बांटा जाता है। इसमें शामिल हैं -

पेरिफेरल न्यूरोपैथी: पहली और सबसे आम न्यूरौपैथी है पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy). इस स्थिति में पैर की उंगलियां, पैर, पांव, हाथ और बाहें प्रभावित होती हैं।यह आगे चलकर सुन्नता या नम्बनेस (numbness), सनसनाहट न महसूस होना, पैर की उंगलियों, पैर, पांव, हाथ और बाहों में दर्द महसूस हो सकता है।

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ऑटोनॉमिक न्युरोपैथी: दूसरा प्रकार है ऑटोनॉमिक न्युरोपैथी (Autonomic neuropathy), जिसमें स्वायत्त या ऑटनामिक कार्यों को नियंत्रित करने वाली नसें प्रभावित होती हैं। इसलिए, इस तरह की स्थिति से प्रभावित लोगों में पाचन, आंत्र या बोवेल (bowel) और मूत्राशय या ब्लैडर(bladder) का कार्य, दृष्टि का विनियमन, सेक्सुअल प्रतिक्रिया, पसीना, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर देखी जाती हैं। आगे चलकर, मरीज को कब्ज, दस्त, मतली जैसी समस्याओं का अनुभव हो सकता है, कम या बिल्कुल भी भूख नहीं लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे चक्कर भी आ सकता है, रक्तचाप या ब्लड प्रेशर में परिवर्तन और मूत्र असंयम हो सकता है।

फोकल न्यूरोपैथी: तीसरा प्रकार है फोकल न्यूरोपैथी होता है जो किसी भी परिधीय तंत्रिका या पेरिफेरल नर्व में होता है। गंभीर और अचानक से दर्द या सुन्नता महसूस सकती है। यह ज्यादातर धड़, सिर या पैर को प्रभावित करता है। आंख की नसों में भी फोकल न्यूरोपैथी हो सकती है, जिससे नज़र में अचानक परिवर्तन या अंधापन हो सकता है।

प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी: अंतिम और चौथा तरीका है समीपस्थ न्यूरोपैथी या प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी(Proximal neuropathy),जो जांघों, हिप्स या बटक्स की नसों को प्रभावित करती है, जहां दर्द या सुन्नता महसूस हो सकती है। फोकल न्यूरोपैथी के विपरीत, प्रॉक्सिमल न्यूरोपैथी में पैरों पर असर पड़ता है और इसका इलाज न किए जाने पर पैरों में कमजोरी पैदा हो सकती है।

न्यूरोपैथी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है ब्लड शुगर के स्तर को जितना हो उतना नॉर्मल रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा, जिन लोगों को पहले से ही न्यूरोपैथी है उन्हें डायबिटीज़ से जुड़ी परेशानियों को कम करने के लिए अपनी सेहत की खास देखभाल करने की ज़रूरत पड़ती है।

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अनुवादक-Sadhana Tiwari

चित्रस्रोत-Shutterstock.