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बारिश का मौसम समाप्त होने वाला है लेकिन डेंगू चिकनगुनिया का खतरा अभी टला नहीं है. बरसात के बाद गर्मी और नमी बढ़ने के कारण डेंगू चिकनगुनिया के मच्छर भी बढ़ने लगते हैं. साल के चार महीने जुलाई से अक्टूबर डेंगू चिकनगुनिया के नाम से जाने जाते हैं. डेंगू के मच्छर दिन में ज्यादा काटते हैं. डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर साफ पानी में ही पनपते हैं. खुद को डेंगू और चिकनगुनिया से बचाने के लिए डाइट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर डेंगू के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत खान-पान में कुछ चीजों को शामिल कर लेना चाहिए.
अगर आपको लगता है कि डेंगू के लक्षण आप में हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें. इसके अलावा अगर आपके घर के आस-पास मच्छर ज्यादा हैं तो मच्छरदानी का उपयोग करें. घर पर रहें फिर भी पूरा शरीर ढ़कने वाले कपड़े पहनें. इसके अलावा डेंगू और चिकनगुनियां के लक्षण दिखने पर इन फूड्स को डाइट में शामिल करें.
वैसे तो डेंगू के लिए किसी खास दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. लेकिन डेंगू होने पर उससे होने वाली अन्य परेशानियों का इलाज किया जाता है. डेंगू अपने-आप ही 6 दिन में ठीक हो सकता है. इसके लिए सही डाइट और तरल पदार्थ का सेवन जरूरी होता है.
डेंगू चिकनगुनियां होने पर ब्लड प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं. शरीर का ब्लड काउंट भी कम हो सकता है. इन परेशानियों से बचने के लिए कुछ ऐसे फूड का इस्तेमाल करना चाहिए जो इन्हें बढ़ाने वाले हों.
डेंगू होने पर अगर तेजी से प्लेटलेट्स काउंट कम हो रहा है तो विटामिन सी वाले फलों का सेवन बढ़ा देना चाहिए. फल कम खा पा रहे हैं तो इनके जूस का सेवन ज्यादा फायदेमंद होता है. नींबू, संतरा, आंवला, मौसमी और अनार का जूस डेंगू रोगियों के लिए अच्छा होता है. इनके सेवन से डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम नहीं होने पाता है.
वैसे तो आप पालक का सेवन हमेशा कर सकते हैं. लेकिन डेंगू चिकनगुनियां होने पर इसका सेवन बहुत लाभ दायक होता है. पालक में आयरन की मात्रा पर्याप्त होती है. इससे ब्लड काउंट कम नहीं होने पाता है. पालक में ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा भी होती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती है. पालक का जूस या सब्जी दोनों आप उपयोग कर सकते हैं.
आयुर्वेद में हल्दी को एक एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक्स के तौर पर उपयोग किया जाता है. हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं. डेंगू चिकनगुनियां होने पर हल्दी का उपयोग ज्यादा मात्रा में करना चाहिए.
वैसे तो इसके बारे में डॉक्टर सलाह नहीं देते हैं. लेकिन आयुर्वेद में इसे प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है. कोमल पपीते के पत्तों को पीसकर इसका जूस बनाकर पीने से ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ता है.