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मां और शिशु का रिश्ता दुनिया में सबसे प्यारा और गहरा होता है। इस रिश्ते की डोर को मजबूत करने में स्तनपान अहम भूमिका निभाता है। स्तनपान यानि कि मां द्वारा अपने शिशु को दूध पिलाना। जब एक मां अपने बच्चे को सीने से लगाकर दूध पिलाती है तो दोनों के बीच में जबरदस्त बॉन्डिंग बनती है। लेकिन कई बार ब्रेस्टफीडिंग कुछ कारणों की वजह से परेशानी का सबब बन जाता है। जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं उन्हें ब्रेस्टफीडिंग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक (World Breastfeeding Week) के मौके पर हम स्तनपान कराने वाली नई मांओं के लिए स्तनपान से संबंधित कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो उन्हें पता होनी चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित जरूरी जानकारी देने के लिए आज हमारे साथ दिल्ली स्थित अपोलो क्रेडल एंड चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल की लेक्टेशन कन्सल्टेंट मिस वंदना सरकार फेसबुक पर लाइव हैं। मिस वंदना सरकार इस ब्रेस्टफीडिंग वीक के मौके पर आज हमें स्तनपान से जुड़ी कई अहम जानकारियां देंगी।
जब कोई महिला पहली बार बेस्टफीड कराती है ते वह पल उसके लिए बहुत अलग और स्पेशल होता है। पहली बार दूध पिलाना सिर्फ मां के लिए ही नहीं बल्कि शिशु के लिए भी नया होता है। मां को पता ही नहीं लग पाता है कि शिशु को कब भूख लग रही है। इस चीज को आप ऐसे समझ सकते हैं कि जब आपके शिशु को भूख लगती है तो वह अपना सिर हिलाता है और बार बार अपने मुंह को खोलता है। इसके अलावा वह अपने अंगुलियों को या हाथ में पकड़ी किसी भी चीज को चूस सकता है और अपने जीभ को बाहर निकाल सकता है। इन संकेतों को महसूस करते ही शिशु को तुरंत ब्रेस्टफीड कराएं।
आपका शिशु दूध पीने में कम्फर्टेबल है या नहीं यह जानना बहुत जरूरी है। हमेशा ऐसी पोजीशन में बैठें जिसमें शिशु को दूध पीने में परेशानी न हो। आप ऐसी स्थिति में रहें जिससे शिशु को दूध पीने के लिए अपना सिर न मोड़ना पड़े। सुनिश्चित करें कि शिशु का सिर थोड़ा पीछे की ओर झुका हुआ है और आपके स्तन के विपरीत है। लेकिन इस स्थिति में ही न रहें। अपने बच्चे को पोजीशन तय करने दें।
यह एक व्यक्तिगत पसंद है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, हर मां को अपने बच्चे को कम से कम 6 महीने तक स्तनपान कराना चाहिए। आप अपने बच्चे के आहार में धीरे-धीरे अन्य खाद्य पदार्थों को शामिल करते हुए एक साल तक ब्रेस्टफीड जारी रख सकते हैं।
यदि आपका शिशु बहुत नॉर्मल एक्सप्रेशन दे रहा है और बीमार नहीं पड़ रहा है तो समझ लें कि आपका शिशु पर्याप्त मात्रा में दूध पी रहा है। अपने बच्चे को यह निर्धारित करने दें कि उसे कितनी बार दूध पीना है। बच्चे को कब भूख लग रही है और वह कब दूध पीना चाहता है इसके लक्षण हम ऊपर बता चुके हैं उन्हें समझकर शिशु को ब्रेस्टफीड कराएं। सोते हुए शिशु को दूध यह सोचकर ब्रेस्टफीड कराने के लिए जबरदस्ती न उठाएं कि उसने लंबे समय से दूध नहीं पीया है।
नर्सिंग करते समय आपके निपल्स में दर्द और सूजन आ सकती है। इस स्थिति से निपटने के लिए शिशु को दूध पिलाने के बाद किसी कैमिकल फ्री मॉइस्चराइज़र से अपने निप्पल की हल्के हाथों से मालिश करें। इसके अलावा आप हल्के गर्म टी बैग या सूती कपड़े को गर्म पानी में निचोड़कर भी निप्पल में लगा सकते हैं। इससे आपके निप्पल का दर्द और सूजन कम होगी।
कभी कभी ऐसा भी हो सकता है कि शिशु को भूख लग रही है लेकिन आप उसके पास नहीं है, ऐसी स्थिति में स्टोर किया हुआ ब्रेस्ट मिल्क यूज़ किया जा सकता है। आप ब्रेस्ट मिल्क को फ्रिज़ या फ्रिज़र में कहीं भी स्टोर कर सकते हैं। आप कुछ समय के लिए इस कमरे में भी रख सकते हैं। ब्रेस्ट मिल्क को स्टोर करने के लिए पतले डिस्पोजेबल, फीडिंग बोतल लाइनर और प्लास्टिक सैंडविच बैग के प्रयोग से बचें।