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बीमारियां सभी को किसी न किसी तरह से परेशान करती रहती हैं। पर अब जो शोध सामने आ रहे हैं वे औरतों के लिए खतरनाक संकेत दे रहे हैं। हालिया शोधों में उन बीमारियों की पहचान हुई है जिनका खतरा सबसे ज्यादा औरतों को होता है।
तनाव
तनाव की स्थिति महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक संख्या में पाई जाती है। हर साल लगभग 12 करोड़ महिलाएं इसकी शिकार होती हैं। कभी-कभी हारमोंस में बदलाव आने के कारण भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। हर बात जो बदलाव का कारण होती है, वह तनाव का भी कारण होती है। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि बदलाव अच्छा या बुरा है। दोनों ही तनाव के कारण होते हैं, लेकिन यह हमारे लिए स्वस्थ या अस्वस्थ हो सकते हैं। यह एक व्यक्ति के तनाव के कारणों पर निर्भर करता है। तनाव शारीरिक, सामाजिक और मानसिक हो सकते हैं।
स्तन कैंसर
स्तन कैंसर औरतों में पाई जाने वाली एक सबसे प्रचलित बीमारी है। यह लंग कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर पाई जाने वाली ऐसी बीमारी है, जो महिलाओं की मृत्यु होने का एक सबसे प्रमुख कारण है। विशेषज्ञ बताते हैं कि कभी-कभी स्तन कैंसर का डर इतना अधिक बढ़ जाता है कि इसकी वजह से महिलाएं डॉक्टर के पास जांच कराने के लिए भी नहीं जातीं व कभी-कभी सोचने में देर कर जाती हैं कि इलाज कराना जरूरी है या नहीं। आज स्तन कैंसर के लिए बहुत-से इलाज संभव हैं, परंतु महिलाओं को इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए। हमारे यहाँ 'कैंसर' शब्द आज भी डराता है, लेकिन पश्चिमी देशों में कैंसर का इलाज आज उसी तरह हो रहा है, जैसे अपने यहाँ तपेदिक का, वहीं नई खोजों से स्तन कैंसर का इलाज अब आसान हो गया है। गत कुछ सालों में देश में महिलाओं में स्तन कैंसर के अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
दिल की बीमारियां
आज दिल की बीमारी के कारण लगभग 29 प्रतिशत औरतें मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसमें महिलाओं की असामयिक मृत्यु और विकलांगता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बहुत-सी ऐसी महिलाएँ भी हैं, जो दिल की बीमारी के साथ बहुत-सी तकलीफों जैसे सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ होना, सांस लेने में तकलीफ होना आदि का सामना करती रहती हैं, क्योंकि दिल की बीमारी इनकी सभी क्षमताओं को नष्ट कर देती है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार हृदय रोगों में कोरोनरी हृदय रोग सबसे घातक रूप ले चुका है।
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ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस भी लोगों को डराता है। आज देश में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएँ इस बीमारी से ग्रस्त हैं। यह बीमारी बड़े स्तर पर इलाज कराने योग्य है। ऐसा व्यवहार जो कि महिलाएं अपने बचपन, अपनी किशोरावस्था में विकसित करती हैं, उसका इस बीमारी के विकसित होने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहता है। अधिकतर महिलाएं 40 वर्ष की आयु के बाद बहुत मोटी होने लगती हैं। इससे इनकी नई हड्डियां बननी समाप्त हो जाती हैं और पुरानी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
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ऑटोइम्यून डिजीज
ऑटोइम्यून डिजीज उन बीमारियों के समूह में आती है, जिनमें इम्यून सिस्टम हमारे शरीर पर अटैक करता है और टिशूस को नष्ट कर देता है या बदल देता है। इस श्रेणी में लगभग 80 से भी ज्यादा गंभीर क्रानिक बीमारियां हैं जिसमें ल्यूपस, मल्टीपल स्किलरोइसिस और मधुमेह आदि भी शामिल हैं। यह विश्वास किया जाता है कि 75 प्रतिशत ऑटोइम्यून बीमारियां महिलाओं में पाई जाती हैं।
चित्रस्रोत: Shutterstock.