Walking Meditation : मेडिटेशन यानी ध्यान लगाना। अक्सर मेडिटेशन किसी एकांत जगह पर बैठ कर किया जाता है, लेकिन एक मेडिटेशन ऐसा है, जिसे चलते हुए किया जाता है। इस मेडिटेशन को वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation) कहते हैं। वॉकिंग मेडिटेशन की उत्पत्ति बौद्ध धर्म में हुई है और इसे एक ध्यान अभ्यास (mindfulness practice) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। वॉकिंग मेडिटेशन के कई लाभ होते हैं। इसे करने के बाद आपको अधिक संतुलित महसूस करने में मदद मिल सकती है। इससे आपको अपने आस-पास के परिवेश, शरीर और विचारों के बारे में एक अलग जागरूकता विकसित करने में भी मदद (Walking Meditation Benefits) मिलती है।
आमतौर पर, ध्यान या वॉकिंग मेडिटेशन (Walking meditation Benefits) के दौरान आप सर्किल, पीछे और आगे की तरफ बिल्कुल सीधी लाइन में चलते हैं। आप इसे लंबी दूरी तक पैदल चलकर भी कर सकते हैं। इसमें रफ्तार धीमी होती है, जो खास टेक्नीक इस्तेमाल करने के दौरान बदलती रहती है। अक्सर, इसका अभ्यास करने वाले वॉकिंग मेडिटेशन का सेशन बैठकर करने वाले मेडिटेशन के दौरान करते हैं।
किनहिन (Kinhin)
थेरावड़ा (Theravada)
विपासना (Vipassana)
वाकिंग मेडिटेशन का उपयोग अक्सर बैठकर किए जाने वाले ध्यान (Seated meditation) के साथ किया जाता है। दोनों तरह के मेडिटेशन को जानन-सीखना लाभदायक होता है। ध्यान या मेडिटेशन के 5 से 10 मिनट का सत्र करें, उसके बाद वॉकिंग मेडिटेशन करें। जब आप इसे आसानी से करने लगें तो समय सीमा बढ़ा सकते हैं।
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जब भी आप दिन में किसी भी प्वाइंट या दिशा में चलते या वॉक करते हैं, तो अपने मन-मस्तिष्क को वर्तमान पल में लाएं। अपने आस-पास की आवाजों, अपनी सांस या किसी भी शारीरिक संवेदना की तरफ ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें। अपने विचारों में खो जाएं।
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2019 में बुजुर्ग महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में यह कहा गया है कि वॉकिंग मेडिटेशन करनेसे बैलेंस (Walking meditation Benefits) बनाने में सुधार होता है, साथ ही पैरों और एड़ियों में तालमेल बिठाना भी आसान होता है।
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एक्सरसाइज से होने वाले लाभ हासिल करने के लिए यह जरूरी नहीं कि आप इंटेंस वर्काउटर करें। एक शोध में यह बात सामने आई है कि रेगुलर मॉडरेट एक्सरसाइज करने से भी स्लीप क्वालिटी में सुधार होता है। चलने या टहलने से शरीर में लचीचालपन बढ़ता है और मांसपेशियों का तनाव कम होता है, जिससे आप शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करते हैं। सुबह के समय जब आप वॉकिंग मेडिटेशन (Health benefits of Walking meditation) करते हैं, तो एंग्जाइटी, स्ट्रेस दूर होता है।
वर्ष 2016 में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि वॉकिंग मेडिटेशन करने से ब्लड शुगर लेवल पर सकारात्मक रूप से असर पड़ता है। साथ ही सर्कुलेशन भी बेहतर होता है, खासकर टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में। इसे 30 मिनट प्रत्येक सप्ताह में 3 बार लगभग 12 सप्ताह तक करने से लाभ अधिक होता है। अध्ययन में शामिल एक समूह ने बिल्कुल इसी तरह से इसका अभ्यास किया, तो उनमें परंपरागत रूप से टहलने वाले समूह के लोगों की तुलना में अधिक सुधार देखा गया।
शारीरिक और मानसिक रूप से एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। खासकर तब, जब आप बुजुर्गावस्था में प्रवेश कर रहे हों। हर दिन एक्सरसाइज करने से फिटनेस लेवल बूस्ट होता है। मूड में सुधार होता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जिन बुजुर्गों ने 12 सप्ताह के लिए वॉकिंग मेडिटेशन के नियमों को फॉलो किया, उनमें अवसाद के लक्षण (symptoms of Depression) बेहद कम हो गए। साथ ही उनके ब्लड प्रेशर, फिटनेस लेवल में भी सुधार देखा गया। ऐसा सिर्फ वॉकिंग मेडिटेशन के जरिए ही संभव हो पाया।
खाने के बाद चलना पाचन को बढ़ावा (Boost Digestion) देने का एक शानदार तरीका है, खासकर अगर पेट बहुत ज्यादा भरा हुआ महसूस हो। चलने-फिरने से भोजन को पाचन तंत्र के माध्यम से स्थानांतरित होने में मदद मिलती है। इससे कब्ज भी नहीं होता है।
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