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मन को प्रसन्न रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं? यूं तो ऐसे बहुत सारे तरीके हैं, जो आपके चित्त को प्रसन्न रखने में आपकी मदद कर सकते हैं लेकिन इन्हें कब करना आपके लिए सही रहेगा इस बात को जानना बहुत ही जरूरी है। कुछ लोग दिनभर काम करने के बाद थक जाते हैं और काम का दबाव आपको परेशान करने के लिए काफी है। लेकिन अगर आप सुबह उठने के बाद ये दो तरीके अपनाते हैं तो निश्चित रूप से आपका पूरे दिन मन प्रसन्न रहता है। इस लेख में हम आपको ऐसी दो मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं, जो आपके मन को प्रसन्न करने के लिए काफी हैं। इन दो मुद्राओं के साथ ही आपको एक मंत्र का भी जाप करना होगा, जिससे आपको काफी फायदा मिलेगा। आइए जानते हैं कौन से हैं ये मंत्र।
वैसे तो आप हर रोज सुबह जागने के बाद कुछ न कुछ करते ही होंगे लेकिन अगली बार सुबह जब आप नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस मे नमस्कार की मुद्रा मे जोडें। उसके बाद पुस्तक की तरह अपनी हथेलियों को खोलें और यह श्लोक पढ़ें। इस दौरान आपको अपनी हथेलियों की ओर देखना हैः
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम्॥
इस श्लोक का मतलब है कि मेरे हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास है।
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले तू गोविन्दः प्रभाते कर दर्शनम ॥
इस श्लोक का मतलब है कि मेरे हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है।
वेद-पुराणों में इस बात को दोहराया गया है कि अगर हम एकांत में बैठकर ध्यान लगाते हैं तो आपको अपने चित्त को प्रसन्न रखने में मदद मिल सकती है। जी हां, ये दोनों मुद्रा और साथ पढ़ा जाने वाला श्लोक आपको हेल्दी बनाने का काम कर सकता है। इस पूर्ण प्रक्रिया के दौरान हथेलियों के दर्शन का मूल भाव तो यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। इसके साथ ही हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हम ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त करें।
इसके अलावा हमारे हाथों से ऐसा कर्म हों जिससे दूसरों का कल्याण हो। संसार में इन हाथों से कोई बुरा कार्य न करें।
इन श्लोक के माध्यम से हम हथेलियों के दर्शन के समय मन में संकल्प लेने की कोशिश करें कि मैं परिश्रम कर दरिद्रता और अज्ञान को दूर करूंगा और अपना व जगत का कल्याण करूंगा। ऐसा करने से आपके मन को खुशी मिलेगी साथ ही आपका चित्त भी प्रसन्न रहेगा।
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