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सिंदूर हर हिन्दू नारी के वैवाहिक जीवन के पवित्र बंधन का प्रतीक होता है। सिंदूर को दक्षिण भारत में कुमकुम भी कहते हैं। सिंदूर को माँग में भरकर या बिन्दी के रूप में लगाकर हिन्दू नारी खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र लाल रंग के सिंदूर के भी बहुत भयानक पार्श्व प्रभाव (side effects) होते हैं जिसके बारे में आप कल्पना भी नही कर सकते हैं।
सिंदूर का रासायनिक संरचना (Chemical composition)-
सिंथेटिक डाई इंडस्टरी कम दाम वाला डाई का इस्तेमाल करके सिंदूर बनाते हैं जो साधारणतः सभी जगह पाये जाते हैं, जिनमें-
• सिंगरिफ (cinnabar) पावडर के रूप में होता है जो साधारणतः नारंगी लाल रंग का होता है
• रासायनिक डाई और दूसरे सिन्थेटिक तत्व होते हैं
• लाल कच्चा सीसा (crude red lead) पावडर के रूप में होता है, पीबी304
• रोडामाइन बी डाई
• मर्क्यरी सल्फाइट आदि तत्व होते हैं
कुछ अनब्रैंडेड लाल रंग के पावडर मिलते हैं जिनके दाम दूसरे सिंदूर के तुलना में कम होते हैं। क्योंकि उत्पादक सिंदूर को सस्ता बनाने के लिए उसमें विषाक्त पदार्थ डालते है जो सिंदूर के रंग को और भी लाल बनाने में सहायता करते हैं। ऐसे सिंदूर नारियों को बहुत आकर्षक लगते हैं और वे इन्हें खरीदने के समय इसमें इस्तेमाल किए गए सामग्रियों को देखते भी नहीं हैं। पढ़े- घर पर नैचरल डिओडरेंट बनायें
सिंदूर का पार्श्व प्रभाव (side effects)-
स्कैल्प और चेहरे के त्वचा पर रैशेज़, खुजली, बालों का झड़ना आदि समस्याएं तो होती ही हैं साथ ही-
• मर्क्यरी सल्फाइट के कारण त्वचा कैंसर हो सकता है
• रोडेमाइन बी डाई के कारण (Rhodamine B dye)वंशानुगत विकार (hereditary disorders) हो सकता है
• खुजली और रूसी की समस्या हो सकती है
• अगर गलती से खाने में चला गया तो खाना विषाक्त हो सकता है
• अगर श्वास-प्रश्वास के साथ चला गया तो मस्तिष्क, किडनी, आँखों और प्रजनन प्रणाली को क्षति पहुँच सकता है
• लेड नफ्रापथी (lead nephropathy) हो सकता है
सिंदूर के पार्श्व प्रभाव से कैसे बच सकते हैं-
• प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे हल्दी और फिटकरी का इस्तेमाल करके सिंदूर बना सकते हैं
• बाजार के सस्ते सिंदूर रूपी पावडर का इस्तेमाल करने से बचे
• विकल्प के रूप में लाल लिपस्टिक या लाल लाइनर का इस्तेमाल कर सकते हैं
• विशेष अवसर पर ही सिंदूर लगा सकते हैं
• हर्बल सिंदूर लगा सकते हैं
• कैंसरकारी उत्पादकों से बचें
• नहाने के वक्त गलती से भी सिंदूर मुँह में न चला जाय, इस बात का ध्यान रखें
• सोने से पहले सिंदूर को मेकअप साफ करने के जैसे साफ करके ही सोना चाहिए
• बच्चों से बचा कर रखना चाहिए
• माँग में कम-से-कम मात्रा में सिंदूर लगाना चाहिए
• सिंदूर लगाने के बाद हाथ धो लेना चाहिए
• अच्छे ब्रैंड का सिंदूर खरीदना चाहिए जिसमें लेड न हो और खरीदने से पहले सामग्री की सूची ज़रूर देख लें।
घर पर ही शुद्ध सिंदूर बना सकते हैं-
घर पर आप सिंदूर आसानी से बना सकते हैं, जिसके लिए-
• हल्दी
• चूना (slaked lime)
• पानी
• समान मात्रा में एक साथ मिलायें और उसमें ज़रूरत के अनुसार पानी डालकर पेस्ट बना लें
• पेस्ट को छोटे गोले का रूप दें और धूप में सूखने के लिए छोड़ दें
• सूखने के बाद गोले को पीसकर सिंदूर बना लें
• हवाबंद जार में संरक्षित करके रख दें
वैश्विक स्तर पर निवारक उपायों पर ध्यान दिया जा रहा है-
कॉज़्मेटिक इंडस्ट्री में लेड के हानिकारक तत्वों को कम-से-कम मात्रा में इस्तेमाल करने की कोशिश करनी चाहिए। भारतीय मानक ब्यूरो के नियम को पालन करके ही इको चिह्नित उत्पादकों को बनाने की कोशिश करनी चाहिए। कई देशों में जिन कॉज़्मेटिक चीजों में लेड है उनके उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इसलिए स्थानीय बाजार में खुले में सिंदूर पावडर के विक्रय पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। और सिंदूर के पार्श्व प्रभाव से बचने के लिए सिंदूर का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना सबसे बुद्धिमानी का काम होता है।
चित्र स्रोत: Getty images
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