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अनुवादक -Sadhna Tiwari.
क्या आपको वैक्सिंग के बाद दाने और रैशेज हो जाते हैं? वैक्सिंग, शेविंग और हेयर रिमूवल क्रीम लगाने के बाद आपकी सेंसटिव स्किन को नुकसान पहुंचता है? तो आपको शुगरिंग करानी चाहिए। हमने मार्वि ऐन बेक एकेडमी की ब्यूटी एक्सपर्ट नंदिनी अग्रवाल से बात की जिन्होंने हमें जानकारी दी इस खास तरीके के बारे में।
शुगरिंग क्या है ?
शुगरिंग वैक्सिंग का प्राकृतिक तरीका है। इन्ग्रोन हेयर और रैशेज आदि समस्याओं से परेशान लोग अनचाहे बालों को निकालने के लिए वैक्सिंग के बजाय शुगरिंग करा सकते हैं। शुगरिंग में वैक्सिंग स्ट्रीप्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता। शुगरिंग करनेवाले व्यक्ति शुगर पेस्ट को बालों के उगने की उल्टी दिशा में लगाता है और इसको एक विशेष तरीके से आपकी त्वचा से छुड़ाते हैं और बाल निकल जाते हैं। यह पेस्ट नींबू, शक्कर और पानी के मिश्रण से बनता है जो शरीर के किसी भी हिस्से में इस्तेमाल के लिहाज से सुरक्षित होता है।
क्या शुगरिंग वैक्सिंग से बेहतर है?
शुगरिंग वैक्सिंग का एक अच्छा पर्याय हो सकता है क्योंकि,
यह त्वचा के लिए हेल्दी है- हेयर रिमूवल वैक्स में जहां अक्सर सिंथेटिक पदार्थ और केमिकल होते हैं वहीं शुगरिंग शक्कर, नींबू और पानी जैसी प्राकृतिक चीजों से बनता है। नींबू के रस से एक्सफॉलिएट होती है और डेड स्किन निकल जाती है। तो वहीं शक्कर में ग्लाकोलिक एसिड होता है जो आपकी त्वचा को हेल्दी बनाता है।
इंफेक्शन नहीं होता- शुगरिंग में पेस्ट का एक गोला बनाया जाता है और उसी की मदद से प्रक्रिया पूरी की जाती है। जबकि वैक्सिंग में मिश्रण को बार-बार गर्म करके उसे अलग-अलग लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शुगरिंग बॉल को गोल-गोल करके त्वचा से हटाया जाता है इसीलिए बाल सफाई से इसमें छुप जाते हैं और इस तरह बैक्टेरिया या इंफेक्शन नहीं फैल पाता।
रैश नहीं होता- शुगरिंग में आपकी त्वचा पर लाली या रैशेज नहीं होते क्योंकि इसमें बालों को खींचकर नहीं निकाला जाता। यही नहीं प्राकृतिक तत्वों के इस्तेमाल की वजह से त्वचा में जलन भी महसूस नहीं होती।
पेस्ट त्वचा पर नहीं चिपकता- वैक्सिंग के बाद त्वचा पर चिपका हुआ वैक्स और उसके दाग भी आपकी परेशानी का एक सबब बन जाते हैं। लेकिन शुगरिंग में ऐसा नहीं होता। यही नहीं यह पानी में आसानी से घुलने की वजह से साफ हो जाता है और त्वचा पर सख्त होकर चिपकता नहीं। अगर यह त्वचा पर रह भी गया तो गर्म पानी और टॉवेल से पोंछकर निकाला जा सकता है।
अच्छे परिणाम- प्राकृतिक होने के साथ-साथ शुगरिंग के परिणाम भी काफी अच्छे होते हैं। जहां वैक्सिंग में त्वचा की सतह पर बाल टूट सकते हैं। वहीं शुगरिंग में बाल रोमकूपों से निकल जाते हैं और इसी वजह से उन्हें दोबारा उगने में समय लगता है। वैक्सिंग में अक्सर बहुत छोटे बाल नहीं निकल पाते और ट्रीटमेंट के 4-5 दिनों में नए बाल दिखने लगते हैं लेकिन शुगरिंग में ऐसा नहीं होता।
लेकिन हां, खुद से घर पर शुगरिंग करते न बैठें। क्योंकि इसकी एक विशेष तकनीक है जिसमें पारंगत व्यक्ति ही इसे सही औरर सुरक्षित तरीके से कर सकता है।
चित्र स्रोत- Shutterstock.
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