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खानपान को लेकर आयुर्वेद की थ्योरी मौसमों के अनुसार अलग-अलग है। आयुर्वेद का 'समर डाइट' (Ayurveda Summer Diet) सिद्धांत भी इसी पर आधारित है। आयुर्वेद ने गर्मी के मौसम में ठंडे प्रकृति वाले खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने की सलाह देता है, जो गर्मी का मुकाबला करने के लिए सक्षम हो।
इसके अलावा, गर्मी के मौसम में पाचन शक्ति सबसे कम होती है। हमारा शरीर खुद को अधिक गर्मी से बचाने के लिए अपनी आंतरिक गर्मी (अग्नि) को कम कर देता है। यही कारण है कि गर्मियों में भूख स्वाभाविक रूप से कम लगती है और आप हल्के खाद्य पदार्थों (ताजे फल और फलों का रस, सलाद आदि) की तलाश करते हैं।
गर्मियों में किस प्रकार के आहार का सेवन करना चाहिए और किस खाद्य पदार्थ से परहेज करना चाहिए, इसको लेकर आयुर्वेद में विस्तार से बताया गया है। यहां हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि गर्मियों में क्या खाएं और क्या नहीं...
मीठा: जो प्राकृतिक रूप से मीठे होते हैं जैसे- फल, सब्जियां, अनाज और देसी घी।
कड़वा: साग, कोलार्ड और सिंहपर्णी जैसे साग के अलावा मेथी जैसे कड़वे मसाले भी।
कसैला: ऐसे खाद्य पदार्थ जो मुंह को चिकना बनाते हैं जैसे कि पालक, हल्दी, सेम, सेब, धनिया आदि।
ठंडा: ऐसी कोई भी चीज जिसकी प्रकृति शीतल हो और जो खाना पचाता है, जैसे- ककड़ी, तरबूज, फलों का रस, सौंफ और धनिया। हालांकि, बर्फ जैसी अप्राकृतिक चीजों से बचें।
हल्का: ऐसे खाद्य पदार्थ पेट की अग्नि को प्रभावित नहीं करते हैं।
तीखा: ऐसे खाद्य पदार्थ जो तीखे या मसालेदार होते हैं जैसे अदरक, लहसुन, मूली, मिर्च, और मसालेदार मसाला।
नमकीन: जिस किसी भी चीज में अतिरिक्त नमक हो सकता है या प्राकृतिक रूप से नमकीन होता है जैसे समुद्री शैवाल।
खट्टा: कुछ ऐसे फूड जो फरमेंटेशन करते हैं, जैसे नींबू, अंगूर, हार्ड पनीर और सोर क्रीम।
गर्म: गर्मी में गर्म खाना खाने से बचना चाहिए। खाद्य पदार्थ कमरे के तापमान पर होने चाहिए।
ऑयली फूड: ऐसे खाद्य पदार्थ जो डीप फ्राइड होते हैं उनसे बचना चाहिए।
नोट: यह लेख आशा आयुर्वेद की आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर चंचल शर्मा से हुई बातचीत पर आधारित है।