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यूरिक एसिड (Uric Acid) के उच्च स्तर को हाइपरयूरिसीमिया (Hyperuricemia) के रूप में जाना जाता है। इससे गाउट (Gout) नामक बीमारी हो सकती है जो जोड़ों में दर्द का कारण बनती है। आपका शरीर यूरिक एसिड पैदा करता है जब यह प्यूरीन को तोड़ता है, वे पदार्थ जो आपके शरीर में स्वाभाविक रूप से पाए जाते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों में प्यूरीन भी पाए जाते हैं, जिनमें कुछ मांस जैसे रेड मीट और ऑर्गन मीट, सार्डिन (Sardines), सूखे बीन्स और बीयर आदि शामिल हैं।
जब आपके रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है तो इससे रक्त में यूरेट क्रिस्टल (Urate Crystals) जमा हो जाते हैं। यह आपके रक्त और मूत्र को भी अम्लीय बना सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. दीक्षा भावसार (Dr. Dixa Bhavsar) बताती हैं कि, इन दिनों यूरिक एसिड का उच्च स्तर होना या गाउट एक बेहद आम समस्या बन गई है। वर्तमान समय में काफी संख्या में लोग इससे जूझ रहे हैं। लोग इसके लिए हर दिन गोलियां खाते हैं (जैसे बीपी और डायबिटीज के लिए)। अगर आप या आपके परिवार में कोई इस समस्या से जूझ रहा है तो चिंता की कोई बात नहीं है। क्योंकि डॉ. दीक्षा की मानें तो जीवनशैली में कुछ बदलाव के साथ इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है और आपको जीवनभर दवाओं पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
डॉ. दीक्षा भावसर के अनुसार, जीवन शैली में बदलाव के साथ यूरिक एसिड लेवल को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में आपको जीवनशैली में कुछ आदतों को शामिल करने की जरूरत है जिनमें शामिल है:
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गुडूची (Guduchi) जिसे हम गिलोय के नाम से जानते हैं गाउट या हाई यूरिक एसिड के लिए अद्भुत और सर्वोत्तम आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है।
गिलोय का उपयोग कैसे करें: अगर आपके घर में गिलोय का पौधा है तो आप इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी ताजी पत्तियों और तने को रात भर भिगो दें और सुबह 1 गिलास पानी में पीसकर आधा होने तक उबालें, उसके बाद इसे छानकर पी लें। आप इस अन्य रूपों में भी इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे जूस, पाउडर, टैबलेट।
डॉ. दीक्षा के अनुसार, यूरिक एसिड के स्तर के लिए अन्य आयुर्वेदिक दवाएं भी हैं जैसे कि कैशोर गुग्गुलु (Kaishore Guggulu), पुनर्नवा (Punarnava), यहां तक कि आंवला और एलोवेरा का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन खुद से दवाई या जड़ी बूटियों का इस्तेमाल न करें, ऐसा करना आपको परेशानी में डाल सकता है। इसलिए पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श कर और उसके बाद ही उनका उपयोग करें। क्योंकि वे आपकी स्थिति के अनुसार बेहतर उपचार प्रदान कर सकते हैं।