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Thalassemia Day 2023: थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसकी वजह से हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन असामान्य रूप से बनता है। इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के शरीर में बहुत कम रेड ब्लड सेल्स और कम हीमोग्लोबिन होता है। साथ ही रेड ब्लड सेल्स काफी ज्यादा छोटे होने लगते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 10,000-15,000 शिशु इस स्थिति के साथ पैदा होते हैं। थैलेसीमिया की परेशानियों को कम करने के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार की मदद ले सकते हैं। आज हम आपको इस लेख में थैलेसीमिया के कारण, लक्षण और इसके आयुर्वेदिक उपचार के बारे में बताएंगे।
थैलेसीमिया होने का प्रमुख कारण आनुवंशिक असामान्यताएं होती हैं। इसकी वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन में कमी आती है। आइए जानते हैं इसके कुछ निम्न कारणों के बारे में-
थैलेसीमिया का आप आयुर्वेदिक तरीकों से उपचार कर सकते हैं। आइए जानते हैं थैलेसीमिया का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? इस विषय पर जानकारी के लिए हमने गाजियाबाद के आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी से बातचीत की है।
आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि गिलोय का प्रयोग आप थैलेसीमिया के आयुर्वेदिक उचपार के लिए कर सकते हैं। यह आपके शरीर की सूजन को कम कर सकता है। साथ ही गिलोय के कैप्सूल में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होता है, जो थैलेसीमिया का उपचार करने में प्रभावी है। इसका सेवन आप नियमित रूप से पानी या फिर गर्म दूध के साथ करें।
थैलेसीमिया का उपचार करने के लिए अश्वगंधा का अवलेह भी फायदेमंद है। यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसे तैयार करने के लिए इसमें बबूल का कत्था, केसर और अश्वगंधा मिक्स किया जाता है। इसका सेवन आप दूध के साथ दिन में 1 बार कर सकते हैं। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
Disclaimer : थैलेसीमिया का उपचार आयुर्वेदिक तरीकों से किया जा सकता है। हालांकिं, किसी भी खुराक को होने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें, ताकि आपकी स्थिति और गंभीरता के बारे में पता चल सके।
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