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Bacco Me Mansik Rog- भले ही आज लोग यह कहने लगे कि शारीरिक बीमारी की तरह ही मानिसक बीमारी होना भी लाजमी है और इसके होने पर शर्म करने के बजाय डॉक्टर को दिखाना चाहिए। लेकिन क्या ऐसा होता है? सच्चाई ये है कि मेंटल हेल्थ (Mental Health in India) आज भी हमारे देश में पागलपन का पर्याय है। अगर एक मिडिल क्लास फैमिली में किसी व्यक्ति को एंग्जाइटी, आब्सेसिव कम्पलसिव डिसआर्डर, हर वक्त नेगेटिव ख्याल आना और खुद को नुकसान पहुंचाने जैसी चीजें महसूस हो तो उसे बिना सोच समझे पागल कह दिया जाता है। यही वो कारण कि लोग अपने लक्षणों को दबा देते हैं और मुखोटा पहनकर समाज के आगे आते हैं। कुछ दिनों बाद ये स्थिति इतनी खतरनाक हो जाती है कि मौत का कारण भी बन सकती है। बड़ों की तरह ही बच्चों में मानसिक रोग होना बहुत कॉमन है। एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर 10 में से 1 बच्चा या जवान व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार है। जब भी कोई बीमारी शरीर में जन्म लेती है तो पहले उसके शुरुआती लक्षण दिखते हैं। अगर आप भी बच्चों में मानसिक रोगों के शुरुआती लक्षणों को पहचान लें तो बच्चों को कई भंयकर बीमारियों से बचाया जा सकता है।
क्योंकि छोटे बच्चों का विकास चल ही रहा होता है इसलिए उनमें एंग्जाइटी या डिप्रेशन जैसे बीमारियों के लक्षण इतनी आसानी से नहीं दिखते हैं। जब बच्चों की बढ़ने की उम्र होती है तो उनके बात करने का तरीका, खाने का तरीका, सोने का तरीका और उठने बैठने का तरीका वैसे भी बड़ों से अलग होता है। कई बार डॉक्टर भी बच्चों में एंग्जाइटी या अन्य मानसिक रोगों के शुरुआती लक्षणों को पहचानने में कन्फ्यूज हो जाते हैं। लेकिन ये भी सच है कि अगर छोटी उम्र में बच्चों में पनप रहे मानसिक रोगों के लक्षणों को पकड़ा न जाए तो वो टीनेज तक आते आते डिप्रेशन या एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं।