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बार-बार ट्राई करने बाद भी कंसीव नहीं कर पा रही हैं तो ये इनफर्टिलिटी के हैं संकेत, इस आयुर्वेदिक थैरेपी से जल्दी पूरा हो सकता है मां बनने का सपना

बार-बार ट्राई करने बाद भी कंसीव नहीं कर पा रही हैं तो ये इनफर्टिलिटी के हैं संकेत, इस आयुर्वेदिक थैरेपी से जल्दी पूरा हो सकता है मां बनने का सपना

आयुर्वेदिक पंचकर्म थैरेपी के माध्यम से इनफर्टिलिटी का उपचार संभव है। अगर आप बार-बार ट्राई करने के बाद भी कंसीव नहीं कर पा रही हैं तो आपको किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए।

Written by Atul Modi |Updated : August 12, 2021 10:46 PM IST

निःसंतानता या बांझपन क्या है? सामान्य तौर पर, निःसंतानता (Infertility) को असुरक्षित यौन संबंध के एक वर्ष या उससे अधिक समय के बाद गर्भवती होने में सक्षम (Conceive) नहीं होने के रूप में परिभाषित किया जाता है। ऐसे में अगर लम्बे समय तक कोई स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती है तो आयुर्वेद पंचकर्म थैरेपी और औषधियों के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है।

निःसंतानता शादीशुदा जोड़ों के लिए एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है, जिससे भारत के अधिकांश कपल प्रभावित हो रहे हैं। संतान प्राप्ति के लिए लोग आईवीएफ (In vitro fertilization) तकनीक की भी मदद ले रहे हैं, लेकिन यह हानिकारक होने के साथ-साथ कई बार आपको सही परिणाम भी नहीं मिलता। जबकि आईवीएफ की तुलना में आयुर्वेद और पंचकर्म थैरेपी (Panchakarma Therapy) प्राकृतिक तरीके से मां बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

क्या है इनफर्टिलिटी से जुड़े आंकड़े?

दरअसल, अधिकांश निःसंतान जोड़ों के मन में यह सवाल अक्सर गुंजता है कि, क्या निःसंतानता से आजादी पाना संभव है? आज के समय में बच्चे के लिए प्रयास करने वालों जोड़ो की संख्या 27.5 मिलियन है जोकि इनफर्टिलिटी की समस्या से घिरे हुए है। भारत के आंकड़ों की बात करें तो 10 से 15 प्रतिशत दंपति निःसंतान है। प्रत्येक 6 में से एक दंपति निःसंतानता की समस्या का सामना कर रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, इस समय की बढ़ती प्रमुख बीमारियों में से निःसंतानता भी एक है। इस गंभीर समस्या के लिए ध्यान देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है।

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इनफर्टिलिटी के मामलों में क्यों बढ़ रही है आयुर्वेद की मांग?

दिल्ली के राजौरी गार्डेन स्थित आशा आयुर्वेद केंद्र की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के अनुसार, निःसंतानता की समस्या बढ़ने के साथ ही आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा की मांग भी वर्तमान समय में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि निःसंतानता के आयुर्वेदिक उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है। जो निःसंतान दंपतियों को सफल उपचार दे रही है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 40 से 50 फीसदी में निःसंतानता का कारण महिलाएं और 30 से 40 फीसदी पुरुष इसके लिए जिम्मेदार माने जाते है। जो दंपति निःसंतान है उनमें से ज्यादातर रिप्रोड्क्टिव एज (प्रजनन उम्र) के है। अब ध्यान देने वाली बात यह है, कि आयुर्वेद में इस समस्या का समाधान उपलब्ध है। आयुर्वेद की इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति को पंचकर्म से जाना है। पंचकर्म में पांच प्रमुख कर्म (चिकित्साएं) होती है। वमन कर्म, विरेचन कर्म, बस्ती कर्म, नस्यम कर्म और रक्त मोझण कर्म, ये पंचकर्म के अंग माने जाते है।

आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इनफर्टिलिटी का उपचार सम्भव

डॉ चंचल शर्मा के अनुसार, पंचकर्म अर्थात पांच ऐसे चिकित्सा पद्धितयों का समुह जो निःसंतानत जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने में पूरी तरह से सक्षम है। पंचकर्म चिकित्सा में निःसंतान जोड़ों के शरीर की प्रकृति के अनुसार ही उनका पंचकर्म उपचार किया जाता है। पंचकर्म निःसंतानता का सबसे प्रभावी उपचार होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कपल के दोषों को संतुलित करते है। जिससे वह माता-पिता बनने के लिए पूर्ण रुप से योग्य बन जाते है। यह उन निःसंतान जोड़ों के लिए सबसे सफल होता है जिन्हें इनफर्टिलिटी की समस्या के चलते माता-पिता बनने का सुख प्राप्त नहीं होता है। पंचकर्म की सफलता दर अन्य किसी उपचार की अपेक्षा अधिक होती है।

पंचकर्म चिकित्सा किन लोगों के लिए होता है लाभकारी?

आयुर्वेद के अनुसार वैसे तो हर 3 महीने के अंतराल के बाद कोई भी व्यक्ति पंचकर्म ले सकता है। इसके लिए जो महिला या पुरुष निःसंतानता की समस्याओं का सामना कर रहे है। उनके लिए यह बहुत ही ज्यादा लाभाकारी साबित होता है। जिन महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tube) ब्लॉक होती है। गर्भधारण करने में फैलोपियन ट्यूब की भूमिका अहम होती है। और यहीं से गर्भधारण करने की प्राथमिक प्रक्रिया शुरू होती है।

आमतौर पर पीसीओडी और पीसीओएस (PCOD/PCOS) की समस्या को पंचकर्म से ठीक किया जाता है। इसके अलावा हाइड्रोसालपिनक्स (Hydrosalpinx), एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis), एडिनोमायोसिस (Adenomyosis), थायराइड (Thyroid Disease), वृषण-शिरापस्फीति (Varicocele), निल स्पर्म काउंट और अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) इत्यादि के इलाज के लिए पंचकर्म चिकित्सा लाभकारी है।

इनफर्टिलिटी या बांझपन के प्रमुख कारण

  1. इनफर्टिलिटी विभिन्न प्रकार के दोषों के कारण हो सकती है। निःसंतानता कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो रातों-रात हो जाती है।
  2. खसरा जैसी बीमारियों को रोकने के लिए कम उम्र में टीकाकरण से बचना भविष्य में बीमारियों और बांझपन का कारण बन सकता है।
  3. वसायुक्त खाद्य पदार्थ (Oily Food) और जंक फूड का अत्यधिक सेवन शरीर के हार्मोन को बदल सकता है।
  4. अत्यधिक धूम्रपान, शराब का सेवन और अनियंत्रित रक्तचाप (Hypertension) और मधुमेह (Diabetes) समय के साथ बांझपन का कारण बन सकते हैं।
  5. अपने मोबाइल फोन को लंबे समय तक अपनी जेब में रखने से भी निःसंतानता हो सकती है।
  6. लंबे समय तक अपने लैपटॉप को अपनी गोद में रखने से बचें, क्योंकि यह भी एक कारण है।
  7. लंबे समय तक एक ही सीट पर बाइक चलाने से भी इनफर्टिलिटी हो सकती है।
  8. पीसीओडी (PCOD) एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय में ट्यूमर (सिस्ट) बन जाते हैं। जिससे ओव्यूलेशन प्रक्रिया आधी हो जाती है।
  9. समय से पहले ओव्यूलेशन (Ovulation) महिलाओं में पुरुष हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है। जो निःसंतानता का कारण है।
  10. जब इंसुलिन, टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) के उत्पादन और कार्य में विकार होता है, तो अंडाशय में डिम्ब ग्रंथि कोशिकाओं (Ovum Gland Cells) की वृद्धि बाधित होती है और ओव्यूलेशन नहीं होता है। जो निःसंतानता का कारण है।

आयुर्वेदिक उपचार से निःसंतानता से आजादी

निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के अनुसार, स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए महिला-पुरुष का शारीरिक एवं मानसिक रुप स्वस्थ होना बहुत जरुरी होता है। गर्भाधान के लिए अच्छे शुक्राणु और अंडाणु (Sperm And Egg) की आवश्कता होती है, जिससे भ्रूण का निर्माण होता है। परंतु स्वास्थ्य कारणों के चलते, जैसे अच्छी जीवनशैली का न होना, खानपान ठीक न होने के कारण महिला-पुरुष की प्रजनन क्षमता में अच्छी नही रह जाती है। जिससे गर्भधारण करने वर्तमान की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। ऐसे में आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या के समाधान के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। प्राचीन काल से आयुर्वेद शास्त्र में ऐसी दुर्लभ और प्रभावी हर्बल जड़ी-बूटियां हैं, जो महिला एवं पुरुष की प्रजनन क्षमता (Male Fertility) को बढ़ा कर निःसंतानता से आजादी दिलाने में कारगर है।