गर्मियों के दिनों में (ग्रीष्म ऋतु) दोपाहर के समय तेज गर्म हवाए चलती हैं, इन गर्म हवाओं की ही लू कहते हैं। अब सबसे बड़ा सवाल उठता है, कि हर किसी को लू क्यों नही लगती है? जबकि काफी लोग इससे प्रभावित होते है। ऐसे में आयुर्वेद का मत है कि जो लोग गर्मियों में लू के प्रभाव से खुद को बचा लेते हैं, उनकी इम्युनिटी और डाइट अच्छी होती है। भारत में हर साल बहुत लोग लू की चपेट में आकर बीमार पड़ जाते है और बुखार की समस्या का शिकार हो जाते है।
जब गर्मियों के दौरान यह गर्म हवाएं आपके शरीर के संपर्क में आती है तो आपके शरीर के तापमान में अचानक से वृद्धि होने लगती है। जिससे बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती है।
ग्रीष्म ऋतु में आपका शरीर कुछ ऐसे संकेत देने लगता है, जिसको महसूस आप समझ सकते है, कि आपके अंदर भी लू के लक्षण है।
यदि आप इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि आपको लू लग चुकी है, तो ऐसी कंडीशन में आपको सबसे पहले छाया (घर के अंदर कमरे) में रहना चाहिए। बाहर निकलने से खुद को रोकना चाहिए। शरीर के तामपान को कम करने के लिए शरीर में ठंडी पट्टियां रख सकते हैं। और यदि मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर है, तो ऐसे मेंं तुरंत उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में खुद को लू से बचाने के लिए कुछ खास आयुर्वेदिक उपाय हैं, जिसका सहारा लेकर आप खुद और अपने पूरे परिवार को गर्मियों में चलने वाली गर्म हवाओं से बचा सकते हैं।
आयुर्वेद ग्रीष्म ऋतु में ऐसे खाद्य पदार्थ सेवन करने की सलाद देता है, जिनकी तासीर ठंडी होती है। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप गर्मियों में चलने वाली गर्म हवाओं से अपनी रक्षा कर सकते हैं। गर्मियों के मौसम में यदि आप ठंडी चीजों का सेवन करते हैं, तो आपके शरीर को ठंडक मिलेगी और तेज तापमान का प्रभाव आपके ऊपर कम होगा।
आयुर्वेद के अनुसार लू से बचने के लिए बेल का शरबत औषधि की तरह कार्य करता है। गर्मियों में बेल को अमृत के सामान माना जाता है। क्योंकि बेल एक ऐसा फल है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी के साथ-साथ फाइबर बहुत ज्यादा मात्रा मेें होता है। इसके सेवन से शरीर ठंडा रहता है। और लू से बचाव होता है। इसके अलावा भी बेल के शरबत के अनगिनत फायदे है। जैसे यह पेट के पाचन तंत्र को मजबूती देता है।
यह एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जो पेय के रुप में सेवन की जाती है। आयुर्वेद खस के बारे में कहता है कि यह पित्तशामक होती है और गर्मियों के दिनों में शरीर मेंं होने वाली गर्मी को शांत करके जलन को नियंत्रित करती है। इसके अलावा यदि आपके शरीर में पित्त दोष की खराबी हैं तो उस कंडीशन में आप खस को लेना शुरु कर सकतेे है।
गिलोय को तो आप सभी ने कोरोना के समय में खूब उपयोग किया होगा, तो इसके फायदे तो आप जान ही गये होंगे। अब आपको हम लू से बचने के लिए भी गिलोय के लाभ बताते हैं। गिलोय एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने का काम करती है। गिलोय के संबंध में आयुर्वेद का मत है, कि गिलोय वात, पित्त, और कफ नाशक होती है। गिलोय लू से लगने वाली बुखार को बहुत जल्दी ठीक करता है और शरीर को राहत पहुंंचाता है। शरीर के बढ़े हुए तापमान को नियंत्रित करके उसे कम करती है।
यदि आप गर्मियों में लू का शिकार हो चुके है या फिर लू से पहले ही अपना बचाव करना चाहते हैं तो आप मिनरल और इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर सेब के सिरके का सेवन पेय के रुप में शुरु कर दें। ऐसा करने से आपके शरीर में पोटैशियम और मैग्नीशियम की कमी नही होगी। जिससे आपको लू प्रभावित नही कर सकेगी। सेब का सिरका ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है।
यह एक प्रकार की ठंडाई जैसी ही होती है, क्योंकि इसका मिश्रिण बहुत सारी ठंडी आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों के संयोजन से तैयार किया जाता है। इसमें कद्दू के बीज, दनिया के बीज, गुलाब के सुखे पत्ते, काली मिर्च, और भी बहुत सारी औषधियां मिश्रित की जाती है। यह बहुत ही शीतल प्रवृत्ति का मिश्रण होता है। जो शरीर की बढ़ी हुई गर्मी या जलन को कम करने का काम करता है, इसका सेवन गर्मियों के दिनों में करने से बहुत फायदा होता है। यदि आपको लू लग गई या नही भी लगी है तब भी आप इसका सेवन कर लू लगने से बच सकते हैं।
(यह सभी लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से खास वार्ता के दौरान प्राप्त हुई है।)
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