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''विश्व ऑटोइम्यून गठिया दिवस'' या ''वर्ल्ड ऑटोइम्यून अर्थराइटिस डे'' हर साल 20 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिवस सामुदायिक संसाधनों को एकजुट करने और लोगों में इस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक दौड़ है। विश्व ऑटोइम्यून और ऑटोइंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस डे (WAAD) का मुख्य उद्देश्य ऑटोइम्यून और ऑटोइंफ्लेमेटरी घटकों वाले गठिया या अर्थराइटिस के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
वाड की स्थापना 2012 में इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर ऑटोइम्यून एंड ऑटोइंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस (IFAA), यूएसए द्वारा की गई थी। हर साल इस दिवस का भी एक थीम होता है। इस बार इसका थीम है ऑटो (AUTO), जिसका उद्देश्य है ग्लोबल लेवल पर ऑटोइम्यूनिटी के कारण होने वाले अर्थराइटिस के प्रकारों और बीमारियों पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है। इसमें ऑस्टियोअर्थराइटिस भी शामिल है।
अर्थराइटिस के दर्द से पाना है छुटकारा, तो खाएं ये हर्ब्स
- अर्थराइटिस सबसे आम पुरानी बीमारियों में से एक है।
- अमेरिका में 54.4 मिलियन या 1 में से 4 वयस्क इससे प्रभावित हैं।
- गठिया काम से संबंधित दिव्यांगता (work-related disability) के प्रमुख कारणों में से एक है।
- अर्थराइटिस क्रोनिक पेन या दर्द का एक आम कारण होता है।
- अर्थराइटिस के कारण 23.7 मिलियन अमेरिकी वयस्क शारीरिक गतिविधियां करने में असमर्थ होते हैं।
- गठिया से पीड़ित वयस्कों में गिरने की संभावना 2.5 गुना अधिक होती है।
- अब तक 100 से भी अधिक ऑटोइम्यून बीमारियों की पहचान की जा चुकी है।
- 36 वर्ष ऑटोइम्यून और ऑटोइंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस होने की औसत आयु होती है।
अर्थराइटिस के दर्द से पाना है छुटकारा, तो काम आएंगी ये जड़ी-बूटियां
[caption id="attachment_667534" align="alignnone" width="655"] © Shutterstock.[/caption]
गठिया या अर्थराइटिस एक टर्म है, जिसमें कई प्रकार के ज्वाइंट डिजीजेज शामिल होते हैं।
ऑटोइम्यून अर्थराइटिस, अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों की तरह प्रतिरक्षा प्रणाली की शिथिलता के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप ऑटोएंटीबॉडी जोड़ों पर हमला करते हैं। इससे दर्द, सूजन और इंफ्लेमेशन की शिकायत होती है।
यह अत्यधिक थकान, बुखार, फ्लू जैसे लक्षण और ब्रेन फॉग का कारण भी बनता है। ये रोग प्रोगरेसिव, स्थायी और अपरिवर्तनीय होता है, जिसका शुरुआत में ही इलाज करना जरूरी होता है।
'ऑटोइम्यून' और 'ऑटोइंफ्लेमेटरी' अर्थराइटिस के बीच अंतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के प्रकार पर निर्भर करता है, जो दो प्रकार का होता है - 'सहज' innate और 'अनुकूली' adaptive। इनेट इम्यूनिटी जन्म से ही हमारे शरीर में निहित होती है, जबकि एडैप्टिव इम्यूनिटी एंटीजेन के एक्सपोजर के जरिए होती है।
ऑटोइम्यूनिटी फॉल्टी एडैप्टिव इम्यून रिस्पॉन्स से उत्पन्न होती है, जबकि ऑटोइंफ्लेमेशन दोषपूर्ण जन्मजात प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया ( defective innate immune response) के कारण उत्पन्न होती है। दोनों में सामान्य शब्द 'ऑटो' है, जिसका अर्थ है प्रतिरक्षा की मध्यस्थता (immune mediated)।
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