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एचआईवी (HIV) को एक घातक बीमारी के तौर पर जाना जाता है, और इसका लोगों की प्रजनन क्षमता या फर्टिलिटी पर गंभीर परिणाम हो सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (World Health Organisation-WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मां से नवजात बच्चों को एचआईवी वायरस मिलने की संभावना 15% से 45% तक हो सकती है। अगर गर्भावस्था, डिलिवरी और ब्रेस्टफीडिंग के चक्र के दौरान इसका प्रभावी इलाज किया जाए तो यह दर 5 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इनमें आमतौर पर एंटीरेट्रोवायरल (antiretroviral) उपचार शामिल होते हैं।
"हाइली एक्टिव एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (highly active antiretroviral therapy) की शुरूआत से पहले, एचआईवी वाले लोगों के माता-पिता बनने की संभावना से जुड़े कई मुद्दे उठाए गए। इसमें पार्टनर या बच्चे को एचआईवी संक्रमण होने का बहुत अधिक खतरा भी शामिल था। एचआईवी पॉजिटीव महिला गंभीर पैल्विक इन्फ्लैमरेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease) से भी पीड़ित हो सकती है क्योंकि उसकी रोगप्रतिरोधक शक्ति या इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसलिए, प्रजनन क्षमता के बजाय एड्स को रोकने की कोशिश करना बेहतर है," ये कहना है डॉ. प्रीती गुप्ता का जो फर्स्ट स्टेप आईवीएफ क्लिनिक से जुड़ी हुई हैं।
एचआईवी-पॉजिटिव महिलाओं को पीरियड्स की अवधि से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, यानि उन्हें कम या बिल्कुल भी पीरियड्स नहीं आ सकते हैं। इसके अलावा, एचआईवी संक्रमित महिलाओं में फर्टिलिटी की वजह तनाव, कमजोर इम्यून सिस्टम, वेट लॉस और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारियां भी हो सकती हैं। ऐसी महिलाएं जिनकी एंटीरिट्रोवाइरल थेरेपी होती हैं, उन्हें प्रेगनेंसी के समय ज़्यादा परेशानियां हो सकती हैं। एचएएआरटी के विकास के साथ, एचआईवी पॉजिटिव महिलाएं सुरक्षित वैजाइनल डिलीवरी करा सकती हैं। हालांकि वैजाइनल डिलिवरी की सलाह केवल तभी दी जाती है अगर एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला को बच्चे के जन्म से पहले उचित देखभाल मिले और वायरल लोड 36 हफ्ते की प्रेगनेंसी में 1000 कॉपिज़/मिली हो।
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अनुवादक: Sadhana Tiwari.
चित्रस्रोत:Shutterstock Images.