
बच्चे के जन्म के समय लेबर और डिलिवरी के समय बहुत कुछ होता है विशेषकर वैजाइनल डिलिवरी के समय तो वैजाइना को बहुत कुछ झेलना पड़ता है। लड़कियों के शरीर के इस अंग से शिशु निकलता है, जिसके कारण वैजाइना को बहुत तरह के खिंचाव और तनाव से गुजरना पड़ता है। इसी कारण डिलिवरी के बाद वैजाइना में बहुत सारे बदलाव आते हैं। लेकिन इसके लिए ज्यादा स्ट्रेस लेने की ज़रूरत नहीं है डिलीवरी के बाद वैजाइना का स्वभाव कुछ बदल जाता है। यानि वैजाइना के नैचुरल फंक्शन में थोड़ा बदलाव आ जाता है। अगले स्लाइडों में जानिये समय के साथ कौन-कौन से ऐसे बदलाव आते हैं।

वैजाइना ड्राई हो जाती है- एस्ट्रोजेन का लेवल लो हो जाने के कारण वैजाइना ड्राई होने लगती है। इसी ड्राइनेस के कारण सेक्स करते वक्त दर्द महसूस होने लगता है और खुजली, जलन, गीलापन के कारण इंफेक्शन होने का कारण बन जाता है।

वैजाइना लूज़ और फैला हुआ महसूस होता है- वैसे तो वैजाइना बहुत लचीला होता है इसलिए वैजाइनल डिलीवरी के समय उसका आकार बढ़ जाता है। लेकिन मुश्किल की बात ये होती है कि पोस्ट डिलीवरी के बाद वह अपने नैचुरल स्वभाव या आकृति में नहीं लौट पाता है। वह पहले से ढीला और फैला हुआ महसूस लगने लगता है।

वैजाइना पर लग जाता है दाग- कई बार पेरिनियम यानि गुदा और योनिमुख के बीच का भाग नहीं फटता है। इसलिए डॉक्टर को डिलिवरी को आसानी से करने के लिए वैजाइना से लेकर एनस तक चीरा लगाया जाता है। यानि डिलिवरी के बाद स्टिच्ट यानि एपिस्टोमी करना पड़ता है जिसके कारण बाद में स्टिच्ट तो घुल जाता है लेकिन दाग छोड़ जाता है

सेक्स के समय होता है दर्द- हां, ऐसा होता है। कभी-कभी ये प्रॉबल्म कम समय के लिए होता है तो कभी लंबे समय के लिए ऐसा होता है। इसलिए अक्सर डिलिवरी के महिनों के बाद भी सेक्चुअल डिज़ायर वापस नहीं लौट पाता है।

पेशाब रोकना हो जाता है मुश्किल- वैजाइनल डिलिवरी के बाद वैजाइना वॉल के मसल्स के ज्यादा खींच जाने के कारण पेशाब लगने पर ज्यादा देर तक रोक पाना मुश्किल हो जाता है। या छिंकने या खांसने पर भी वह लिक हो जाता है। अगर समय के साथ ये प्रॉबल्म कंट्रोल में नहीं आया तो तुरन्त डॉक्टर से सलाह लें।